अपनी कुंडली से 1 सेकंड में पता करें अपने ईष्ट देवी-देवता !!
- Jyotishacharya Gaurav Singh
- Sep 25, 2020
- 3 min read
अधिकाँश ऐसा देखने में आता है की सभी देवी–देवताओं की पूजा–अर्चना करने के बाद भी व्यक्ति का मन हमेशा भटकता ही रहता है, व्यक्ति के मन्न में यह विचार निरंतर चलता रहता है की मेरे ईष्ट देवी-देवता कौन हैं, मुझे किसकी सर्वाधिक पूजा करनी चाहिए । वहीं यह भी देखा गया है की अधिकाँश व्यक्तियो का मन किसी एक देवी अथवा देवता की ओर सबसे अधिक आकर्षित होता है । यदि आपकी कोई कुल देवी अथवा कुल देवता हैं तो वो भी आपके इष्ट देव हो सकते हैं, तो आइए ये जानने का प्रयत्न करते हैं कि कौन हैं आपके इष्ट देव जिनकी उपासना से होगी आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी तथा होगा आपका कल्याण ।
प्रत्येक व्यक्ति, जिसने भी इस धरती पर जन्म लिया है, हर किसी के कोई ना कोई ईष्ट देव अवश्य होते हैं पर समस्या ये आती है की आपके ईष्ट देव कौन हैं ये कैसे पहचाने, ये कैसे पता करें ? तथा ये अपने आप में एक गंभीर समस्या है क्यूंकि आपके ईष्ट देव की पूजा-अर्चना से ही आपका सर्वाधिक भला हो सकता है तथा ईष्ट देव की पूजा से ही आपका मन्न शांत होगा ।
आज मैं आपको आपकी कुंडली के माध्यम से 1 सेकंड में ये देखना सिखाऊंगा की आपके ईष्ट कौन हैं, किसकी आपको सर्वाधिक पूजा करनी चाहिए । ये तो आप सभी अब तक भली प्रकार से जान ही गए होंगे की हमारे ब्रह्माण्ड में कुल 12 राशीयाँ होती हैं तथा कुंडली में भी 12 ही घर अथवा भाव होते हैं । कुंडली के प्रत्येक भाव में एक राशी स्थित होती है उदहारण के लिए कुंडली के पहले भाव में यदि हम देखें तो 1 से लेकर 12 तक कोई भी एक राशी स्थित हो सकती है तथा वह राशी हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकती है, हो सकता है राम नारायण के पहले भाव में तीसरी राशी स्थित हो तथा राम प्रसाद के पहले भाव में आठवीं राशी स्थित हो । इस प्रकार से कुंडली के बाकी भावो में क्रम से बाकी राशीयाँ स्थित होंगी ।
अपने ईष्ट देव जाने से पहले आपको ये पता होना भी आवश्यक है की किस राशी के राशीस्वामी कौन होते हैं । चलिए बताता हूँ –
पहली है मेष राशी, ये मंगल ग्रह की राशी है तथा इनके स्वामी हैं हनुमानजी तथा कार्तिकेय,
दूसरी है वृषभ राशी, ये शुक्र ग्रह की राशी है तथा इनकी स्वामी हैं लक्ष्मीजी,
तीसरी है मिथुन राशी, ये बुध ग्रह की राशी है तथा इनकी स्वामी हैं माँ दुर्गा,
चौथी है कर्क राशि, ये चंद्र ग्रह की राशी है तथा इनके स्वामी हैं शिवजी,
पांचवी है सिंह राशि, ये सूर्य ग्रह की राशी है तथा इनके स्वामी हैं स्वयं सूर्यदेव,
छठी है कन्या राशी, ये भी बुध ग्रह की राशी है अतः इनकी भी स्वामी हैं माँ दुर्गा,
सातवीं है तुला राशी, ये भी शुक्र ग्रह की राशी है अतः इनकी भी स्वामी हैं लक्ष्मीजी,
आठवीं है वृश्चिक राशी, ये भी मंगल ग्रह की राशी है अतः इनके भी स्वामी हैं हनुमानजी तथा कार्तिकेय,
नवीं है धनु राशी, ये बृहस्पति ग्रह की राशी है तथा इनके स्वामी हैं नारायण,
दसवीं है मकर राशी, ये शनि ग्रह की राशी है तथा इनके स्वामी हैं स्वयं शनिदेव,
ग्यारहवीं है कुम्भ राशी, ये भी शनि ग्रह की राशी है अतः इनके भी स्वामी हैं स्वयं शनिदेव,
बाहरवीं है मीन राशी, ये भी बृहस्पति ग्रह की राशी है अतः इनके भी स्वामी हैं नारायण ।
अब आपको ये देखना है की आपकी कुंडली के पांचवे भाव में कौन सी राशी स्थित है, 12 राशीयों में से जो भी राशी वहां स्थित होगी उस राशी के स्वामी आपके ईष्ट देव होंगे । इस कुंडली में पांचवे भाव में 5 नंबर लिखा है जिसका अर्थ है की यहाँ सिंह राशी स्थित है अर्थात जिनकी भी ये कुंडली है उसके इष्टदेव हुए सूर्यदेव । अतः आप अपने ईष्ट देव की मन्न लगाकर भक्ति करके सफलता, सुख समृद्धि, यश तथा उत्तम स्वस्थ्य का वरदान प्राप्त कर सकते हैं । देखा आपने, कितना आसान है अपने ईष्ट देवी-देवता का पता करना । अब जब आपने ईष्ट देव को पहचान लिया है तो इस लेख को अपने परिवार के सदस्यों, अपने मित्रो तथा परिचितों, जिनकी भी आप परवाह करते हैं उनके साथ शेयर करके उनको भी अपने ईष्ट देव पहचानने में सहायता कीजिये ।
प्रिय पाठको, मेरे पोस्ट पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद | यदि आपको मेरे लेख पसंद आ रहे हैं तो कृपया Like (♡) करके तथा ज्यादा से ज्यादा Share करके मेरा उत्साह वर्धन कीजियेगा जिससे कि मैं भविष्य में आपके साथ और अधिक ज्योतिष सम्बंधित जानकारी साझा कर सकूँ |
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so nice info..thnx