कुंडली में केमद्रुम योग क्या होता है, तथा आपको कैसे प्रभावित करता है ?
- Jyotishacharya Gaurav Singh
- Dec 4, 2020
- 3 min read
केमद्रुम योग, चंद्रमा द्वारा गठित सबसे महत्वपूर्ण योगों में से एक है। वराहमिहिर के अनुसार, यह योग तब बनता है जब कुंडली में चंद्रमा से आगे तथा पीछे का एक घर अथवा भाव, खाली होता है। यदि इसे दूसरे शब्दों में कहें तो, जब चंद्रमा से दूसरा तथा बारहवां घर खाली होता है तब यह योग बनता है। कुछ ज्योतिषियों के अनुसार यह योग अशुभ माना जाता है तथा कुछ ज्योतिषियों के अनुसार यह योग अशुभ नहीं है। एक व्यक्ति को इस योग से बिल्कुल भी नहीं डरना चाहिए। वास्तव में यह व्यक्ति को जीवन में सभी प्रकार के संघर्षों का सामना करने के लिए मजबूत शक्ति प्रदान करता है ताकि वह अपने जीवन में सफलता हासिल कर सके।
इस योग वाले लोग व्यक्ति आमतौर पर सेना में जनरल, मंत्री, पार्षद, शिक्षक, प्रोफेसर, प्रशिक्षक तथा सलाहकार के रूप में देखे जाते हैं। सामान्य विचार यह है कि वे अपने स्वयं के जीवन में बहुमुखी प्रतिभा के धनि होते हैं तथा भिन्न-भिन्न कार्य क्षेत्र उन्हें अपनी ओर आकर्षित करते हैं, परन्तु सलाह लेने के लिए ये सबसे अच्छे लोग होते हैं। उदाहरण के लिए, इस योग वाला व्यक्ति एक महान फ़ुटबॉल खिलाड़ी भले ही ना बन पाए परन्तु, तकनीक के गहन ज्ञान के कारण सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से किसी एक का प्रशिक्षक अथवा सलाहकार अवश्य हो सकता है।
अधिकांश अभूतपूर्व ज्योतिषी, जिन्होंने अद्वितीय खोजों में योगदान दिया है उनका जन्म इस योग के साथ हुआ था। यह माना जाता है कि इस तरह के ग्रह समायोजन वाले लोग, जब एक बार अपनी ऊर्जा को सही दिशा दे देते हैं तथा ध्यान, योग, मंत्र पाठ, आदि के साथ वे मानवता के लिए उपलब्ध संपूर्ण ज्ञान को सीख तथा संग्रहीत कर सकते हैं तब ये उन्हें इतिहास में महान सलाहकार और गुरु बनाता है।
ऐसे व्यक्तियों में एक महत्वपूर्ण बात यह होती है कि वे सभी विषयों के सैद्धांतिक गुरु होते हैं, परन्तु उस ज्ञान के औसत कार्यान्वयन के कारण अपने जीवन में औसत सफलता ही प्राप्त कर पाते हैं। इन व्यक्तियों को जब समान रूप से अच्छे क्रियान्वन कर्ता के रूप में देखा जाता है, तब ये हर पहलु से सफल परिणाम देते हैं। केमद्रुम योग तब भी बनता है जब चंद्रमा किसी शुभ ग्रह से द्रष्ट नहीं होता है अथवा शुभ ग्रह के साथ नहीं होता है। जब हम केमद्रुम योग के बारे में बात करते हैं तो राहु तथा केतु का विश्लेषण नहीं किया जाता है।
केमद्रुम योग के बारे में गलत धारणा है कि यह व्यक्ति को जीवन में परेशान करता है। इसलिए, कई ज्योतिषी इस योग को अशुभ मानते हैं। यह धारणा पूरी तरह से सही नहीं है। केमद्रुम योग में जन्म लेने वाले लोग अपने पेशे में अच्छा करते हैं। उन्हें अपने कार्यक्षेत्र में सम्मान तथा सराहना भी मिलती है। आमतौर पर आधुनिक काल में ज्योतिषी केवल इस योग के अशुभ प्रभावों के बारे में बात करते हैं। परन्तु अगर वे शुभ परिणामों के बारे में भी बात करना प्रारम्भ करें, तो लोगों को पता चल पायेगा कि कुछ योगों की उपस्थिति के कारण, केमद्रुम योग राज योग में परिवर्तित हो जाता है। इसलिए, व्यक्ति की कुंडली का विश्लेषण करते समय उन योगों का निरीक्षण करना महत्वपूर्ण है जो कि केमद्रुम योग को बेअसर करते हैं।
यदि किसी व्यक्ति को ऐसा लगता है की केमद्रुम योग के कारण उसे अपने जीवन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो कुछ उपाय करके वो अपनी परेशानी को कम कर सकता है, वो उपाय हैं -
1. लगातार चार वर्षों तक पूर्णिमा का उपवास करें। यदि पूर्णिमा सोमवार को पड़ रही हो तो उस दिन से व्रत आरम्भ करना अत्यधिक शुभ होता है ।
2. प्रत्येक सोमवार मंदिर में जाएँ तथा शिवलिंग पर गाय का दूध चढ़ाकर भगवान शिव की पूजा करें। "ॐ नमः शिवाय" मन्त्र का रुद्राक्ष की माला से 108 बार जप करें।
3. अपने घर में दक्षिणावर्ती शंख रखें तथा श्री सूक्तम का नियमित पाठ करें। इस शंख में जल भरकर रखें तथा उस जल से देवी लक्ष्मी की मूर्ति को स्नान कराएं। अपने गले में मोती के साथ चांदी से बना श्री यंत्र धारण करें।
4. अपने जन्मदिन पर महामृत्युंजय मंत्र का 1008 बार जप करें।
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