कुंडली में अनफा तथा सुनफा योग क्या होते हैं?
- Jyotishacharya Gaurav Singh
- Dec 11, 2020
- 3 min read
आज हम जानेंगे कि कुंडली में अनफा तथा सुनफा योग क्या होते हैं तथा ये योग हमें किस तरह से प्रभावित करते हैं। अनफा तथा सुनफा योग, चंद्रमा द्वारा बनने वाले सबसे महत्वपूर्ण योगों में से एक हैं, पिछले लेख में मैंने आपको केमद्रुम योग के बारे में बताया था जो की कुंडली में चंद्र की एक विशेष स्थिति के कारण बनता है, अनफा तथा सुनफा योग भी कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति से ही सम्बंधित हैं।
पहले अनफा योग को समझते हैं, वराहमिहिर के अनुसार, कुंडली में चंद्रमा के द्वारा अनफा योग बनने की 2 महत्वपूर्ण शर्तें होती हैं, पहली शर्त है कि कुंडली में चंद्रमा जिस भी भाव में स्थापित हो उससे आगे का एक घर अथवा भाव, खाली होना चाहिए, या यूं कहें कि चंद्रमा से दूसरा घर खाली होना चाहिए तथा दूसरी शर्त है कि चंद्रमा जिस भी भाव में स्थापित हो उससे पिछले घर में या यूं कहें कि चंद्रमा से बारहवें भाव में सूर्य, राहु तथा केतु को छोड़कर बचे हुए 5 ग्रहो (यानि की मंगल, बुध, गुरु, शुक्र अथवा शनि) में से कोई भी ग्रह स्थापित होना चाहिए तब ही अनफा योग बनता है। ये आवश्यक नहीं है की बारहवें भाव में बचे हुए 5 ग्रहों में से सिर्फ एक ग्रह ही स्थापित हो, एक से अधिक ग्रह भी स्थापित हो सकते हैं।
अनफा योग बहुत ही शुभ माना जाता है, अनफा योग के बनने पर जातक को उत्तम स्वास्थ्य, मान-सम्मान तथा प्रसिद्धि प्राप्त होती है तथा उसकी अध्यात्म में रूचि बढ़ती है। ऐसे जातक बेहद शांत तथा उदार प्रकृति के स्वामी होते हैं तथा ललित कलाओं में विशेष सफलता तथा सम्मान अर्जित करते हैं। इनके मन में प्रारंभ से ही वैराग्य की भावना होती है तथा जीवन के उत्तरार्ध में संन्यास जैसी अवस्था तक पहुंच जाते हैं। जिन लोगों की कुंडली में ये योग होता है वो अपने जीवन में उच्च पदों तक पहुंचते हैं।
अब सुनफा योग को समझते हैं, कुंडली में चंद्रमा के द्वारा सुनफा योग बनने की भी 2 महत्वपूर्ण शर्तें होती हैं, पहली शर्त है कि कुंडली में चंद्रमा जिस भी भाव में स्थापित हो उससे पीछे का एक घर अथवा भाव, खाली होना चाहिए, या यूं कहें कि चंद्रमा से बाहरवां घर खाली होना चाहिए तथा दूसरी शर्त है कि चंद्रमा जिस भी भाव में स्थापित हो उससे अगले घर में या यूं कहें कि चंद्रमा से दूसरे भाव में सूर्य, राहु तथा केतु को छोड़कर बचे हुए 5 ग्रहो (यानि की मंगल, बुध, गुरु, शुक्र अथवा शनि) में से कोई भी ग्रह स्थापित होना चाहिए तब ही सुनफा योग बनता है। ये आवश्यक नहीं है की दूसरे भाव में बचे हुए 5 ग्रहों में से सिर्फ एक ग्रह ही स्थापित हो, एक से अधिक ग्रह भी स्थापित हो सकते हैं।
सुनफा योग भी बहुत ही शुभ माना जाता है, जातक को अपने हर कार्य में सफलता मिलती है तथा धन का लाभ होता है। सुनफा योग वाला व्यक्ति देश के प्रतिष्ठित तथा बड़े सरकारी पदों पर पहुंचता है। ऐसे जातक पराक्रमी तथा ऊर्जावान होते हैं, अपनी शैक्षणिक योग्यताओं के लिए ख्याति प्राप्त करते हैं, तथा जीवन की सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त करते हैं। उनकी यश-कीर्ति चारों दिशाओं में फैलती हैं, वो धनवान होते हैं तथा समाज का नेतृत्व करते हैं।
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