कुंडली में दुर्धरा योग क्या होता है, तथा आपको किस प्रकार से प्रभावित करता है?
- Jyotishacharya Gaurav Singh
- Dec 18, 2020
- 2 min read
अधिकांश जातकों की कुण्डली में देखा गया है कि विभिन्न ग्रहों द्वारा निर्मित कई शुभ तथा अशुभ योग बनते हैं। इनमें से कुछ अशुभ योग कम हानि देने वाले होते हैं जबकि कुछ बेहद हानिकारक होते हैं अतः जातक को अशुभ परिणाम देते हैं। इसी प्रकार शुभ योग भी कुछ ऐसे ही बनते हैं, कुछ तो बहुत ही शक्तिशाली होते हैं तथा कुछ साधारण शुभ योग होते हैं जो बेहद अल्प शुभ परिणाम देते हैं।
वराहमिहिर के अनुसार, कुंडली में चंद्रमा के द्वारा दुर्धरा योग बनने की 2 महत्वपूर्ण शर्तें होती हैं, पहली शर्त है कि कुंडली में चंद्रमा जिस किसी भी भाव में स्थापित हो उससे आगे वाले घर अथवा भाव, या यूं कहें कि चंद्रमा से दूसरे घर में सूर्य, राहु तथा केतु को छोड़कर बचे हुए 5 ग्रहों (यानि की मंगल, बुध, गुरु, शुक्र अथवा शनि) में से कोई भी ग्रह स्थापित होना चाहिए तथा दूसरी शर्त है कि चंद्रमा जिस भी भाव में स्थापित हो उससे पीछे वाले घर में या यूं कहें कि चंद्रमा से बारहवें भाव में सूर्य, राहु तथा केतु को छोड़कर बचे हुए 5 ग्रहों (यानि की मंगल, बुध, गुरु, शुक्र अथवा शनि) में से कोई भी ग्रह स्थापित होना चाहिए तब ही दुर्धरा योग बनता है। ये आवश्यक नहीं है की दूसरे तथा बारहवें भावों में बचे हुए 5 ग्रहों में से सिर्फ एक ग्रह ही स्थापित हो, एक से अधिक ग्रह भी स्थापित हो सकते हैं।
चंद्रमा एक अति चंचल ग्रह होता है। हमारे मन को भी चंद्रमा के प्रभाव से देखा जाता है, मन का सुख तथा दुख चंद्रमा की कलाओं से प्रभावित होता है। चन्द्रमा के दोनों तरफ अच्छे ग्रह होने के कारण चन्द्रमा को बल मिलता है। वैसे तो दुर्धरा योग लाखों जातकों में से किसी एक जातक की कुंडली में बनता है परन्तु वो जातक जिसकी कुंडली में ये योग बनता है वो व्यक्ति धन-धान्य से सम्पन्न होता है, समृद्ध होता है, कीर्तिवान होता है, अपने जीवन में भरपूर यश तथा प्रतिष्ठा प्राप्त करता है एवं शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करता है। इस योग वाले व्यक्ति को जन्म से ही सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त होती है। उसके पास धन-संपति, वाहन तथा नौकर-चाकर की कमी नहीं होती है। ऐसा व्यक्ति स्वभाव से उदार-चित्त, स्पष्ट बात कहने वाला, दान-पुण्य करने वाला तथा धर्मात्मा होता है।
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मेरी कुण्डली में योग है पर उपरोक्त लेख में लिखे किसी भी शब्द का मेरे साथ संबंध नहीं है और मैं साधारण से भी निम्न श्रेणी में अपना जीवन व्यतीत कर रहा हूं
मेरे मकर लग्न में सूर्य चंद्र द्वितीय में मंगल बुध तृतीय में राहु शनि अष्टम में गुरु नवम में केतु और बाहरवें भाव में शुक्र है
क्षमा चाहता हूं