जानिए 2020 का सावन का महीना क्यों है ख़ास तथा शिवजी की जल से अभिषेक की कथा |
- Jyotishacharya Gaurav Singh
- Aug 14, 2020
- 4 min read
ये तो हम सभी जानते हैं की देवी देवताओं की पूजा तथा आराधना एवं मंत्रजाप से उनको प्रसन्न किया जा सकता है परन्तु महादेव, जो की देवों के देव हैं, वो भक्तो पर अतिशीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं तथा उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं | वो भक्तो में भेदभाव नहीं करते हैं चाहे भक्त अच्छी मानसिकता वाले हो अथवा बुरी, शिवजी बिना कोई भेदभाव किये सबपर अपनी कृपा बरसाते हैं, क्यूंकि वो बहुत ही भोले हैं इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है |
पुराणों में उनके भोलेपन की एक कहानी बताई गयी है, भस्मासुर नामक एक राक्षस था, वो दुनिया का सबसे ताकतवर असुर बनना चाहता था। वह सबसे शक्तिशाली बनकर सभी पर शासन करना चाहता था, साथ ही साथ वह शिवजी का बहुत बड़ा भक्त भी था। वह जानता था कि शिवजी को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है इसलिए शिवजी से मनचाहा वरदान पाने की लालसा में उसने महादेव की कड़ी तपस्या की। भस्मासुर की तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने उसे वरदान मांगने को कहा तो वो बोला की मुझे अमर कर दीजिये तब शंकरजी बोले की ये वरदान देना तो संभव नहीं है क्यूंकि जिसने भी जन्म लिया है उसे एक न एक दिन मरना तो पड़ेगा ही इसलिए तुम कोई दूसरा वरदान मांग लो तब उसने बहुत सोच समझ कर ये वरदान माँगा कि जब भी वह किसी के भी सिर पर अपना हाथ रखे तो वह भस्म हो जाए | अब चूँकि शिवजी ठहरे भोले भंडारी तो उन्होंने भस्मासुर को ये वरदान दे दिया |
तब भस्मासुर ने सोचा क्यों ना इस वरदान को शिवजी पर ही प्रयोग करके देखा जाये, इससे 2 लाभ होंगे एक तो इस वरदान की क्षमता पता चल जाएगी और दूसरा शिवजी ही समाप्त हो जायेंगे तो उसका अंत कोई नहीं कर पायेगा | ये सोचकर वो शिवजी की तरफ दौड़ा, शिवजी अपने द्वारा दिए गए वरदान को वापस नहीं ले सकते थे इसलिए महादेव को स्वयं भस्मासुर से अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ा। अंततः विष्णुजी की सहायता से भस्मासुर का अंत हो पाया तथा भोलेनाथ को भस्मासुर से मुक्ति मिली |
महादेव को श्रावण मास अतिप्रिय है, सावन के सोमवार का बहुत महत्व होता है | इस वर्ष 2020 में सावन में 5 सोमवार पड़ेंगे जिससे की सभी लोगो को महादेव को प्रसन्न करने का अधिक अवसर प्राप्त होगा | इस साल सावन का महीना 6 जुलाई सोमवार से प्रारम्भ होकर 3 अगस्त सोमवार के दिन ही समाप्त होगा, कहने का अर्थ ये है की इस साल श्रावण मास में 5 सोमवार आएंगे | आप इन अवसरों का भरपूर लाभ उठाएं, पूजा पाठ करके शिवजी को प्रसन्न करने का पूरा प्रयास करें, शंकरजी आप सभी की मनोकामना पूर्ण करेंगे ऐसा मेरा विश्वास है |
अब मैं आपको बताता हूँ की शिवजी का जल से तथा दूध से अभिषेक क्यों किया जाता है ? पौराणिक कथा के अनुसार एक बार जब देवो तथा असुरो ने समुद्र मंथन किया था तब उस मंथन की वजह से समुद्र में से बहुत सारा विष निकला था जिसे न तो कोई देवता न कोई असुर लेना चाहता था | समस्त लोको के लिए अब ये बहुत बड़ा संकट खड़ा हो गया था किस इस विष का क्या किया जाये | तब शिवजी ने सबको बचने के लिए इस विष को स्वयं पी लिया जिसके कारण उनके शरीर का ताप बहुत अधिक बढ़ने लगा | उनके शरीर के ताप को काम करने के लिए सभी ने उनपर जल तथा दूध चढ़ाना शुरू किया, तभी से महादेव पर जल तथा दूध चढाने की परंपरा चली आ रही है |
सोमवार के दिन प्रातः जल्दी उठकर, नित्यकर्मों से निवृत्त होकर, नहा धोकर, साफ़ वस्त्र धारण करके शिवजी के मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल अथवा दूध अथवा दोनों मिलाकर चढ़ाएं, शिवजी को बिल्वपत्र, भांग तथा धतूरा प्रिय हैं अतः ये भी चढ़ाएं | शिवलिंग पर चन्दन से तिलक करें तथा पूरे शिव परिवार की पूजा करें | आप शिवजी को देसी घी तथा बूरे का प्रसाद बनाकर भोग लगा सकते हैं | महादेव पर भूलकर भी केतकी के पुष्प तथा तुलसी न चढ़ाएं, ये वर्जित होते हैं, इनकी कथा फिर कभी | आप शिव चालीसा का पाठ कर सकते हैं, महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर सकते हैं, कम से कम 1, 3, 5 अथवा 9 माला | जिन भी जातको की कुंडली में काल सर्प दोष हो, वो ये पूजा अर्चना अवश्य करें, साथ में नाग नागिन का जोड़ा भी चढ़ाएं, काल सर्प दोष के अशुभ फल में कमी आएगी |
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