जानिए क्या होता है राशि-परिवर्तन योग ?
- Jyotishacharya Gaurav Singh
- Apr 17, 2020
- 3 min read
जानिए क्या होता है राशि-परिवर्तन योग ?

ज्योतिष विज्ञान में वर्णित बहुत से योगो में से राशि–परिवर्तन योग एक बहुत ही महत्वपूर्ण और जातक के भविष्य फल पर गहरा प्रभाव डालने वाला योग है | जातक की लग्न कुंडली में स्थित ग्रहों की कुछ विशेष स्थिति द्वारा राशि–परिवर्तन योग बनता है, लग्न कुंडली में जब किसी भी दो भावो की राशियों के स्वामी एक दूसरे के भाव में स्थित हों जाएं तब इसे राशि–परिवर्तन योग माना जाता हैं | उदाहरण के लिए मान लीजिये प्रथम भाव में पांचवी राशि स्थित है जिसके स्वामी सूर्य देव हुए तथा इस स्थिति में नवम भाव में पहली राशि स्थित होगी जिसके स्वामी मंगल देव हुए अब यदि सूर्य देव नवम भाव में तथा मंगल देव प्रथम भाव में स्थित हो जाएं तो इसे राशि–परिवर्तन योग कहेंगे | राशि–परिवर्तन योग के सही आंकलन के लिए भाव और भावेश दोनों का सही से अध्यन्न बेहद ज़रूरी है |
राशि–परिवर्तन योग को तीन विभिन्न स्थितियों में विभाजित कर सकते हैं -
1. महा योग
2. दैन्य योग
3. खल योग
1. महायोग क्या है ? जब कभी जातक की कुंडली में शुभ भावों यथा केंद्र, त्रिकोण, धन अथवा लाभ भाव के राशि स्वामियों अर्थात भावेशों का आपस में ही एक दूसरे की राशियों में स्थित हो जाते हैं तब इसे महायोग कहा जाता है | उदहारण के लिए मान लीजिये लग्नेश पंचम भाव में आ जाएं तथा पंचमेश लग्न अथवा प्रथम भाव में आ जाएं तो यह राशि–परिवर्तन महायोग कहलायेगा | राशि–परिवर्तन महायोग को अति शुभ फल देने वाला माना जाता है इससे जातक को बल और साकारात्मक परिणाम मिलते हैं | तथा जिन दो भावेशों का राशि परिवर्तन होता है वो दोनों भावेश बलशाली हो जाते है |
2. दैन्य योग क्या है ?
यदि जातक की कुंडली में बुरे भावों के स्वामियों यथा षष्टेश, अष्टमेश अथवा द्वादश का अच्छे भावों के स्वामियों के साथ राशि–परिवर्तन हो जाता है तो इसे दैन्य योग कहेंगे | उदाहरण के लिए यदि द्वादशेश लग्न अथवा प्रथम भाव में स्थित हो तथा लग्नेश द्वादश भाव में स्थित हो जाये तो यहाँ यह राशि–परिवर्तन दैन्य योग की श्रेणी में आएगा | दैन्य योग अच्छा योग नहीं होता है, इससे जातक के जीवन में संघर्ष बढ़ता है तथा शुभ भावेश पीड़ित हो जाते हैं ।
3. खल-योग क्या है ? कुंडली में जब तीसरे भाव के स्वामी (तीसरे भाव को भी अच्छा भाव नहीं माना गया है क्यूंकि ये जातक को बहुत परिश्रम करवा कर थोड़ा फल देता है) का किसी भी शुभ भाव यथा केंद्र, त्रिकोण, लाभ अथवा धन भाव के स्वामी के साथ राशि–परिवर्तन हो जाये तो इस योग को खल योग कहेंगे | उदाहरण के लिए यदि पंचमेश तीसरे भाव में और तृतियेश पंचम भाव में स्थित हो जाये तो यह राशि–परिवर्तन खल योग की श्रेणी में आएगा | दैन्य योग की तरह खल योग का परिणाम उतना नकारात्मक नहीं होता परन्तु महा योग से कम फल देने वाला माना जाता है | ऐसी स्थिति में जातक को बहुत संघर्ष करना पड़ता है तथा बीमारियों का भी सामना करना पड़ सकता है।
प्रिय पाठको, मेरे पोस्ट पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद, ये था मेरा ज्योतिष से सम्बंधित एक और विषय पर लेख, यदि आप ज्योतिष के किसी और विषय पर जानकारी पाना चाहते हैं तो कमेंट में लिखकर मुझे बताइये, मैं निश्चित तौर पर उस विषय पर लेख लिखूंगा | यदि आपको मेरे लेख पसंद आ रहे हैं तो कृपया like करके तथा ज्यादा से ज्यादा शेयर करके मेरा उत्साह वर्धन कीजियेगा |
#Jyotish #LalKitab #RashiParivartan #Upaay #Grah #VedicJyotish #Astrology #Astrologer #AstroGuruji #AstroGurujiGauravSingh
Comments