कुंडली के 12 भाव अथवा घर आपके बारे में क्या-क्या बताते हैं ?
- Jyotishacharya Gaurav Singh
- Nov 13, 2020
- 5 min read
Updated: Apr 25, 2021
ये तो अब तक हम भली-भाँती जान ही चुके हैं कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हमारी कुंडली में कुल 12 भाव होते हैं या यूं कहें की कोई भी कुंडली 12 घरों से मिलकर बनती है। वैसे तो किसी भी व्यक्ति की कुंडली उसके बारे में लगभग सभी बातें बताने में सक्षम होती हैं परन्तु संभवतः आप में से अधिकाँश लोग ये नहीं जानते होंगे की कुंडली के इन 12 भावों में से कौनसा भाव आपके बारे में क्या-क्या बताता है? आज हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे तथा 1-1 करके सभी भावों को जानने तथा समझने का प्रयास करेंगे की ये क्या कहते हैं?
1. प्रथम भाव: ज्योतिष शास्त्र में प्रथम भाव को लग्न अथवा तनु भाव भी कहा गया है क्यूंकि जन्म कुंडली का ये पहला घर स्वयं आपके बारे में बताता है जैसे की आपका स्वभाव कैसा होगा, आपके विचार किस प्रकार के होंगे, आपके शरीर की आकृति कैसी होगी तथा आपका रूप-रंग कैसा होगा, ये घर आपके ज्ञान तथा इच्छाशक्ति को भी दर्शाता है, आपकी बुद्धि तथा विवेक कैसे होंगे, आप में आत्मसम्मान तथा विनम्रता कितनी होगी, आपके सिर, दिमाग, रक्त-धमनियों के बारे में बताता है, इसलिए ये भाव अति महत्वपूर्ण होता है।
2. द्वितीय भाव: ज्योतिष शास्त्र में द्वितीय भाव को धन भाव भी कहा गया है क्यूंकि जन्म कुंडली का ये दूसरा घर आपके धन-धान्य तथा संपत्ति के बारे में बताता है, आपके कुटुंब के बारे में बताता है, आपकी वाणी तथा भाषा-शैली के बारे में बताता है, आपके दांये नेत्र, नाक, जिव्हा, दांतों, गले तथा माथे के बारे में बताता है, आदि।
3. तृतीय भाव: ज्योतिष शास्त्र में तृतीय भाव को सहज भाव भी कहा गया है क्यूंकि जन्म कुंडली का ये तीसरा घर आपके छोटे भाई-बहनो के बारे में बताता है, आपके धैर्य, पराक्रम तथा पुरुषार्थ के बारे में बताता है, आपके पड़ोसियों के बारे में भी दर्शाता है, छोटी यात्राओं के बारे में बताता है, आपके कंधे, बाजुओं, हाथों, दांये कान तथा साँसों के बारे में बताता है, आपको अपने जीवन में कम मेहनत करके फल मिलेंगे अथवा अधिक मेहनत करके मिलेंगे ये भी दर्शाता है, आदि।
4. चतुर्थ भाव: ज्योतिष शास्त्र में चतुर्थ भाव को सुख भाव भी कहा गया है क्यूंकि जन्म कुंडली का ये चौथा घर आपकी माता, सुख-साधन, भूमि-वाहन, चल-अचल संपत्ति, आपकी छाती, दिल, फेफड़ों, रक्त तथा पसलियों को दर्शाता है, आपकी पढाई किस स्तर की होगी तथा इसके साथ ही साथ ये आपके जीवन के अंतिम दिनों को भी दर्शाता है, आदि।
5. पंचम भाव: ज्योतिष शास्त्र में पंचम भाव को संतान भाव भी कहा गया है क्यूंकि जन्म कुंडली का ये पांचवां घर आपकी संतान के बारे में बताता है, आपकी बुद्धिमत्ता तथा ज्ञान के बारे में बताता है, आपके प्रेम सम्बन्ध तथा रोमांस को दर्शाता है, आपकी शिक्षा, धर्म तथा आध्यात्मिकता के प्रति आपके झुकाव को भी बताता है, इसके साथ ही साथ ये घर आपके पेट, जिगर, अग्नाशय, पित्ताशय, रीढ़ की हड्डी, तथा आपके पूरे पाचन तंत्र के बारे में बताता है, आदि।
6. षष्टम भाव: ज्योतिष शास्त्र में षष्टम भाव को रिपु भाव भी कहा गया है तथा इसे अच्छा भाव नहीं माना गया है, क्यूंकि जन्म कुंडली का ये छठा घर आपके रोग, ऋण, विदित शत्रु अर्थात जिन शत्रुओं को आप जानते हों, तथा विवाह में अलगाव को दर्शाता है, ये घर मुकदमेबाज़ी को भी दर्शाता है, आपके पालतू जानवर तथा आपकी नौकरी भी इसी घर से ही देखी जाती है, ये घर आपकी चिंता, दुःख, तथा अपयश भी दर्शाता है, आपके नौकर-चाकर, आपकी छोटी आंत, गुर्दे, तथा उदर भी इसी घर से देखे जाते हैं, आदि।
7. सप्तम भाव: ज्योतिष शास्त्र में सप्तम भाव को कलत्र भाव भी कहा गया है, क्यूंकि जन्म कुंडली का ये सातवां घर आपके जीवनसाथी तथा व्यापार के साझेदार को दर्शाता है, विवाह, व्यापार, दैनिक व्यवसाय भी ये भाव बताता है, ये घर आपके प्रतिद्वंदी भी दर्शाता है, आपकी आंतरिक जननेंद्रियाँ, नाभि तथा कमर का भाग, कटी-क्षेत्र, त्वचा आदि भी इसी घर से देखे जाते हैं, आदि।
8. अष्टम भाव: ज्योतिष शास्त्र में अष्टम भाव को आयु भाव भी कहा गया है तथा इसे भी अच्छा भाव नहीं माना गया है, क्यूंकि जन्म कुंडली का ये आठवां घर आपके अपमान तथा दुर्भाग्य को दर्शाता है, आपकी आयु तथा मृत्यु भी यही घर बताता है, अनर्जित अर्थात स्वयं से ना कमाया हुआ धन भी इसी घर से देखा जाता है, ये घर रहस्य तथा गुप्त-ज्ञान का भी है, आपकी दुर्घटना तथा असाध्य रोग भी इसी भाव से देखे जाते हैं, आपकी बड़ी आंत, गुदा, मूत्रमार्ग, बाहरी जननेंद्रियाँ, आदि भी इसी घर से दखे जाते हैं, आदि।
9. नवम भाव: ज्योतिष शास्त्र में नवम भाव को भाग्य भाव भी कहा गया है, क्यूंकि जन्म कुंडली का ये नवां घर आपके सौभाग्य तथा ऐश्वर्य को दर्शाता है, आपके धर्म, तीर्थ यात्रा तथा उच्च शिक्षा का विचार भी इसी घर से किया जाता है, ये घर आपके गुरु, अध्यापक, विदेशी भाषा के ज्ञान को भी बताता है, ये घर आपके पिता को भी दर्शाता है जब तक की आप उनपर निर्भर रहते हैं, संन्यास तथा स्वप्न भी यही घर बताता है, नितम्ब, श्रोणि चक्र, धमनी तंत्र, तंत्रिकाएँ तथा ऊरू क्षेत्र को भी ये घर दर्शाता है, आदि।
10. दशम भाव: ज्योतिष शास्त्र में दशम भाव को कर्म भाव भी कहा गया है, क्यूंकि जन्म कुंडली का ये दसवां घर आपके नाम, मान-सम्मान, पद, प्रतिष्ठा, अधिकार तथा प्रसिद्धि को दर्शाता है, ये घर आपके पिता को भी दर्शाता है जब आप उनपर निर्भर नहीं रहते हैं अर्थात स्वयं कमाने लगते हैं, यह भाव राज्य, प्रशासनिक अधिकारी तथा न्याय व्यवस्था से भी सम्बंधित है, आपके घुटनो से ऊपर के पैर, घुटनस, पैरों की हड्डियों तथा जोड़ों, आदि को भी दर्शाता है, आदि।
11. एकादश भाव: ज्योतिष शास्त्र में एकादश भाव को लाभ भाव भी कहा गया है तथा इस भाव को कुंडली का सर्वश्रेष्ठ भाव माना गया है, क्यूंकि जन्म कुंडली का ये ग्यारहवां घर आपकी आय, लाभ, उपलब्धि, तथा मनोकामनाओं की पूर्ती को दर्शाता है, ये घर आपके मित्रों, साथियों, सहयोगियों को भी दर्शाता है, आपके बड़े भाई-बहन तथा पुत्रवधु भी इसी भाव से देखे जाते हैं, आपके घुटने, रक्त प्रवाह, टखना तथा बांया कान भी इसी घर से देखे जाते हैं, आदि।
12. द्वादश भाव: ज्योतिष में द्वादश भाव को व्यय भाव भी कहा गया है तथा इसे भी अच्छा भाव नहीं माना गया है, क्यूंकि जन्म कुंडली का ये बारहवां घर आपके व्यय, हानि, मृत्यु, अस्पताल में भर्ती होना, गुप्त शत्रु, तथा जेल यात्रा को दर्शाता है, ये शैय्या सुख, विदेश यात्रा तथा गुप्त ज्ञान भी बताता है, आपके घुटनो से नीचे के पैर, चरण, अंगूठे, लसीका तंत्र, तथा बांये नेत्र को भी दर्शाता है, आदि।
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