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वैदिक ज्योतिष पद्धति से कुंडली कैसे देखें ?

वैदिक ज्योतिष पद्धति से कुंडली कैसे देखें ?
Vedic Astrology Vedic Jyotish

मैं आज आपको बहुत ही सरल तरीके से ज्योतिष सिखाने जा रहा हूँ, इसे ठीक से समझने के बाद आप किसी भी कुंडली का विश्लेषण कर पाएंगे | जातक की लग्न अथवा जन्म कुंडली का अध्ययन वैदिक ज्योतिष पद्धति से करते समय एक कुशल ज्योतिषी को कुंडली से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार करना चाहिए। ज्योतिषी को कुंडली के हर ग्रह का विस्तार से विश्लेषण करना चाहिए, कौनसे ग्रह किस भाव में स्थित हैं, महादशा, अंर्तदशा तथा प्रत्यंतरदशा, गोचर, इत्यादि। यह लेख पूरा पढ़ने के बाद आज आप कुंडली की विवेचना से सम्बंधित सभी पहलुओं को समझ जायेंगे तथा किसी भी कुंडली कि विवेचना तथा उस पर आधारित भविष्वाणी कर पाएंगे।

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वैदिक ज्योतिष पद्धति में इन सभी पहलुओं पर गहराई से विचार करना ज़रूरी होता है: 1. सबसे पहले यह देखें की किस भाव में कौनसी राशि है | 2. उसके बाद ये देखें कि कौनसा ग्रह किस भाव में स्थित है | 3. फिर आपको देखना है कि कौनसा ग्रह अपने पक्के घर में स्थित है |

4. फिर आपको किसी ग्रहो के कारक तत्वों का अध्ययन करने की आवश्यकता है।

5. उसके बाद आपको ये ठीक से देखना होगा की कौनसा ग्रह किस ग्रह पर तथा भाव पर दृष्टि डाल रहा है | 6. फिर आपको यह विश्लेषण करने की आवश्यकता है कि कौन कौन से ग्रह स्वाभाविक रूप से शुभ हैं या अशुभ हैं ।

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7. फिर आपको हर ग्रह की ताकत भी जांचनी होगी। 8. फिर आपको उस अवधि की जांच करनी होगी जिसके दौरान किसी ग्रह की महादशा या अंतरदशा सक्रिय होगी। 9. फिर आपको उस समय चल रहे गोचर के प्रभावों का विश्लेषण करना होगा।

10. आपको जातक के लग्न पर विचार करना होगा। 11. आपको जातक कि राशि के बारे में विचार करना होगा। 12. आपको ग्रहो के षड्बल के बारे में विचार करना होगा

13. आपको कुंडली में स्थित ग्रहो कि आपसी मित्रता तथा शत्रुता का भी विचार करना होगा 14. आपको ये भी देखना होगा कि कुंडली में कौनसा ग्रह उच्च का है और कौनसा नीच का 15. आपको अष्टकवर्ग वर्ग का अध्ययन भी करना होगा |

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16. आपको केंद्र के घरो का भी ध्यान रखना चाहिए | 17. आपको त्रिकोण के घरो का भी ध्यान रखना चाहिए | 18. सटीक भविष्यवाणी करने के लिए लग्न कुंडली के साथ साथ जातक की ही कुछ अन्य कुंडलियों का अध्ययन करने की भी आवश्यकता होगी, जिनका उल्लेख नीचे किया गया है - > चंद्र कुंडली > भाव चालित कुंडली > निरयण भाव चलित कुंडली > नवांश कुंडली > राशि कुंडली > होरा कुंडली > द्रेष्कोण कुंडली > चतुर्थांश कुंडली

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> सप्तांश कुंडली > दशमांश कुंडली > द्वादशांश कुंडली > षोडशांश कुंडली > विशांश कुंडली > चतुर्विंशांश कुंडली

> सप्तविंशांश कुंडली > त्रिशांश कुंडली > ख़वेदांश कुंडली > अक्ष्वेदांश कुंडली > षष्ट्यंश कुंडली > वर्ष कुंडली

प्रिय पाठको, मेरे पोस्ट पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद, ये था मेरा ज्योतिष से सम्बंधित एक और विषय पर लेख, यदि आप ज्योतिष के किसी और विषय पर जानकारी पाना चाहते हैं तो कमेंट में लिखकर मुझे बताइये, मैं निश्चित तौर पर उस विषय पर लेख लिखूंगा | यदि आपको मेरे लेख पसंद आ रहे हैं तो कृपया like (♡) करके तथा ज्यादा से ज्यादा शेयर करके मेरा उत्साह वर्धन कीजियेगा जिससे कि भविष्य में मैं आपके साथ और अधिक ज्योतिष सम्बंधित जानकारी साझा कर सकूँ |

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2 Comments


देखिए मनीष जी सभी विद्या अपनी अपनी जगह श्रेष्ठ हैं किसी भी विद्या की तुलना किसी दूसरी विद्या से करना ठीक नही है | कोई गुरुजी किसी विद्या का अभ्यास करके फलित बताते हैं कोई गुरुजी किसी का, इसका अर्थ ये नही है की दूसरी विद्या उनकी विद्या से कम अथवा ज़्यादा अच्छी है | मेरा ऐसा मानना है की विद्या कोई भी हो पर फलित सही आना चाहिए तथा जातक का भला होना चाहिए |

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Manish Indian
Manish Indian
Apr 14, 2020

aapka lekh to mujhe theek laga lekin muje je samjh nhi aaya ki kaunsi jyotish vidya sabse best ha? vedic ya kp ya nadi ya gemini ya parashiri?

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