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कुंडली में पंच महापुरुष योग कौनसे होते हैं तथा कैसे बनते हैं ?

Panch Mahapurush Yog
Astro Guruji Gaurav Singh

किसी भी मानव का जीवन उसकी कुंडली के ग्रहयोग से निर्धारित होता है। कुंडली में ग्रहों की दशा, उनके आपस में संबंध, तथा नक्षत्र स्थिति से मानव के जीवन की दशा तय होती है। कुंडली के अनुसार मानव का भाग्य उसके जन्म के साथ ही तय हो जाता है। ज्योतिष शास्त्र जातक के आंतरिक एवं बाहरी व्यक्तित्व का अनुमान लगाने में भी सक्षम है। जहाँ एक तरफ कुंडली के अच्छे तथा उत्तम योग जीवन को सफल बनाते हैं वहीँ दूसरी तरफ अशुभ योग जीवन की दुश्वारियों को बढ़ा देते हैं।

पंच महापुरुष योग का ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है, ये 5 योग हैं रूचक, भद्र, हंस, मालव्य तथा शश, जो क्रमशः मंगल, बुध, गुरु, शुक्र तथा शनि ग्रहों के कारण बनते हैं। यदि इन योगों का सृजन किसी जातक की कुंडली में होता है तो वह जातक सुखी तथा समृद्ध होता है। जिस जातक की कुंडली में एक अथवा एक से अधिक पंचमहापुरुष योग होते हैं उनको जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है तथा ऐसे व्यक्ति का जीवन सफल होता है। आइए समझते हैं कुंडली में कैसे बनते हैं पंचमहापुरुष योग तथा ये अपना फल किस प्रकार से देते हैं।

1. रूचक योग -

यदि मंगल अपनी स्वराशि मेष अथवा वृश्चिक अथवा उच्च राशि मकर में स्थित होकर कुंडली के केन्द्र स्थानों अर्थात पहले, चौथे, सातवे अथवा दसवें भाव में स्थित हो तब 'रूचक' नामक पंचमहापुरुष योग बनता है। इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति बहुत ही साहसी, निर्भिक, बलशाली, ऊर्जावान तथा पराक्रमी होता है। वह अपने गुणों के कारण धन, पद व प्रतिष्ठा प्राप्त करता है एवं जग प्रसिद्ध होता है। रूचक योग वाले जातक अपनी बल, बुद्धि का उपयोग अच्छे कार्यों में करते हैं तथा ये लोग पुलिस अथवा सेना में बड़े पदों पर रहते हुए कार्य करते हैं। इन जातकों को शत्रुओं का कोई भय नहीं होता तथा एक बार जिस काम को ये ठान लेते हैं उसे पूरा करके ही दम लेते हैं। ये जातक अधेड़ उम्र में भी तरूण समान प्रतीत होते हैं।

2. भद्र योग -

यदि बुध अपनी स्वराशि मिथुन अथवा कन्या (जो की बुध की उच्च राशि भी है) में स्थित होकर कुंडली के केन्द्र स्थानों में स्थित हो तब 'भद्र' नामक पंचमहापुरुष योग बनता है। इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति कुशाग्र बुद्धि वाला तथा वाक्-कौशल में निपुण होता है। ऐसा जातक श्रेष्ठ वक्ता, वैभवशाली तथा उच्च पदाधिकारी होता है। ऐसे व्यक्ति की रचनात्मक कार्यों में रुचि होती है जिससे की वो अच्छा वक्ता तथा लेखक होता है तथा इनके व्यवहार में ही भद्रता झलकती है, ये स्वभाव से काफी विनम्र होते है।

3. हंस योग -

यदि गुरु अपनी स्वराशि मीन अथवा धनु अथवा उच्च राशि कर्क में स्थित होकर कुंडली के केन्द्र स्थान में स्थित हो तब 'हंस' नामक पंचमहापुरुष योग बनता है। इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति बुद्धिमान, ज्ञानी तथा आध्यात्मिक होता है एवं विद्वानों द्वारा प्रशंसनीय होता है। ऐसे व्यक्ति आध्यात्म के क्षेत्र में उच्च पद को प्राप्त करते हैं। इनके ऊपर ईश्वर की विशेष कृपा होती है। समाज में ऐसे लोगों को काफी मान-सम्मान प्राप्त होता है तथा इस योग वाले जातक के स्वभाव में संयम तथा परिक्वता झलकती है। समस्याओं का समाधान ढूंढने में इन्हें महारत हासिल होती है। ये बहुत अच्छे शिक्षक तथा प्रबंधक की भूमिका निभा सकते हैं।

4. मालव्य योग -

यदि शुक्र अपनी स्वराशि वृषभ अथवा तुला अथवा उच्च राशि मीन में स्थित होकर कुंडली के केन्द्र स्थान में स्थित हो तब 'मालव्य' नामक पंचमहापुरुष योग बनता है। इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति विद्वान, स्त्री सुख से युक्त, यशस्वी, शान्त-चित्त, वैभवशाली, वाहन तथा सन्तान सुख से युक्त होता है। ऐसा जातक आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी होता है। मालव्य योग वाले व्यक्ति ग्लैमर वाले क्षेत्र जैसे फिल्म, मीडिया आदि में सफल होते हैं। इनका रूझान कलात्मक तथा रचनात्मक कार्यों के प्रति अधिक होता है। माता लक्ष्मी की इन पर विशेष अनुकम्पा होती है।

5. शश योग -

यदि शनि अपनी स्वराशि मकर अथवा कुंभ अथवा उच्च राशि तुला में स्थित होकर कुंडली के केन्द्र स्थान में स्थित हो तो 'शश' नामक पंचमहापुरुष योग बनता है। इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति उच्च पदाधिकारी, राजनेता, न्यायाधिपति होता है। इनकी समझ काफी गहरी होती है, ये बलवान होने के साथ-साथ धनी, सुखी एवं दीर्घायु होते है। इनकी विचार शक्ति काफी बेहतर होती है तथा समाज में इनको काफी मान-सम्मान और प्रसिद्धि मिलती है। ये कर्तव्यनिष्ठ तथा कर्मठ व्यक्तित्व के धनी होते हैं। शनिदेव की कृपा से इनको किसी प्रकार की दुख तकलीफ नहीं होती है।

प्रिय पाठको, मेरे पोस्ट पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। यदि आपको मेरे लेख पसंद आ रहे हैं तो कृपया Like (♡) करके तथा ज्यादा से ज्यादा Share करके मेरा उत्साह वर्धन कीजियेगा जिससे कि मैं भविष्य में आपके साथ और अधिक ज्योतिष सम्बंधित जानकारी साझा कर सकूँ।

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