अपने जीवन में से टेंशन, डिप्रेशन, स्ट्रेस को कैसे दूर भगाएं ?
- Jyotishacharya Gaurav Singh
- Oct 30, 2020
- 4 min read
आजकल आपने देखा होगा कि अधिकांश लोग चिंता तथा अवसाद से जूझ रहे हैं जिसकी वजह से उनमें स्ट्रेस अथवा तनाव बढ़ने लगता है तथा देखते ही देखते या तो वो कई बीमारियों को ना चाहते हुए भी आमंत्रण दे देते हैं जैसे की हाई अथवा लो ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, गुस्सा, मोटापा, सुसाइडल टेन्डेन्सीज़, आदि। कुछ लोग तो इस हद्द तक डिप्रेशन में चले जाते हैं की वो आत्महत्या करने तक का कदम उठा लेते हैं। ये समस्या ऐसी हैं की इसमें रोगी ऊपर से देखने में तो बिलकुल स्वस्थ नज़र आता है परन्तु अंदर ही अंदर उसकी चिंताएं उसे बिलकुल खोखला बना देती हैं। ये तनाव की बीमारी या यूं कहें की जीवनशैली के विकार आज से एक अथवा दो दशक पहले तक किसी से सुनने में भी नहीं आते थे परन्तु अब ये आम सी बात हो गयी है।
सबसे पहले हम ये समझने की कोशिश करते हैं की किसी व्यक्ति में स्ट्रेस अथवा तनाव आखिर बढ़ता ही क्यूँ है, जब भी हम किसी भी बात को लेकर ज़रूरत से ज्यादा चिंतित होने लगते हैं तब टेंशन, डिप्रेशन बढ़ने लगता है और अंततः स्ट्रेस का रूप ले लेता है। चिंता का विषय कुछ भी हो सकता है, नौकरी, व्यवसाय, प्यार में दिल का टूटना, पारिवारिक विवाद, कानूनी मुकदमा, धन की कमी, जीवन में कोई बड़ा बदलाव, कोई बड़ी बीमारी जैसे की कोरोना महामारी, इत्यादि। स्ट्रेस बढ़ने का एक मुख्य कारण ये भी है की तनाव से पीड़ित व्यक्ति अपने मन्न की बात किसी के साथ साझा नहीं कर पाता जिसकी वजह से वो बात उसके मस्तिष्क में रात-दिन घूमती रहती है। उसे ऐसा लगता है की यदि उसने अपने मन्न की बात किसी के साथ साझा की तो सामने वाला व्यक्ति उसकी बात को समझ नहीं सकेगा तथा उसकी समस्या कम होने की बजाय और बढ़ जाएगी। इसीलिए पीड़ित व्यक्ति अपना दर्द किसी के साथ साझा नहीं करता तथा मन्न ही मन्न घुटता रहता है तथा आखिरकार या तो कोई ना कोई बीमारी उसे घेर लेती है जिससे की वो इस बीमारी द्वारा जल्द ही अपनी मृत्यु के निकट पहुँच जाता है अथवा चरम स्तिथि में वो आत्महत्या की तरफ रुख कर लेता है।
स्ट्रेस अथवा तनाव के लक्षण क्या होते हैं? अधिकतर अकेले में रहने का मन्न करना, कहीं भी मन्न ना लगना, कहीं भी आने-जाने का मन्न ना करना, जीने की इच्छा ख़त्म सी होने लगना, सब कुछ व्यर्थ सा लगने लगना, ज्यादा खाना अथवा भूख ना लगना, बेवजह स्वभाव में चिड़चिड़ापन बने रहना, अँधेरा अच्छा लगना अथवा अँधेरे से बहुत डर लगना, खोये-खोये रहना, नींद ना आना अथवा बहुत ज्यादा सोना, असामान्य रूप से वजन घटना अथवा बढ़ना, याददाश्त कम होना, एकाग्रचित ना हो पाना, ख़ुशी का एहसास ना होना, नकारात्मकता बढ़ना, जिम्मेदारियों से भागना, नशा करना, इत्यादि। स्ट्रेस से पीड़ित व्यक्ति में इनमे से कुछ अथवा सभी लक्षण देखे जा सकते हैं।
अब हम इस स्ट्रेस की बीमारी को ज्योतिषीय दृष्टिकोण से समझने की कोशिश करते हैं। जब-जब किसी व्यक्ति की कुंडली में पहले तथा दूसरे भावों का सम्बन्ध छठे तथा आठवें भावों के साथ बनेगा तब-तब व्यक्ति को टेंशन, डिप्रेशन तथा स्ट्रेस की समस्या आएगी। ये तो हम जानते हैं की पहला भाव स्वयं का होता है अतः उसका प्रभावित होना स्पष्ट है तथा दूसरा भाव कुटुंब अथवा परिवार का होता है, जब कोई परिवार का सदस्य तनाव अथवा अवसाद से उत्पन्न हुई किसी बीमारी से घिरेगा तो पूरा परिवार ही उससे प्रभावित होना भी तय है। छठे तथा आठवें भाव रोग तथा बाधाओं के होते हैं इसलिए ये दोनों भाव जब पहले एवं दूसरा भावों के साथ सम्बन्ध बनाते हैं तब स्ट्रेस के लक्षण प्रकट होते हैं। तथा साथ ही साथ कुंडली में ये भी देखने को मिलेगा कि व्यक्ति का चन्द्रमा भी कमज़ोर स्तिथि में होगा। चन्द्रमा मन्न का कारक होता है अतः जब भी चन्द्रमा पाप ग्रहों द्वारा पीड़ित होता है तब-तब व्यक्ति का मन्न स्वतः विचलित होना प्रारम्भ हो जाता है तथा धीरे-धीरे ये अवसाद का रूप ले लेता है।
अब इस स्ट्रेस की समस्या के ज्योतिषीय उपाय क्या हो सकते हैं, ये समझते हैं। चन्द्रमा के कारक तत्व होते हैं माता, जल, चांदी, मोती, सफ़ेद रंग, दूध आदि। आप ये निम्नलिखित साधारण से उपाय करके तनाव तथा अवसाद से छुटकारा पा सकते हैं -
आपको अपने घर की पानी की टंकी साफ़ रखनी है
अधिक से अधिक पानी पीजिये
अपनी माता के साथ सम्बन्ध मधुर बनाने हैं
घर में चांदी के बर्तन अधिक से अधिक प्रयोग करें अन्यथा कम से कम चांदी के गिलास में पानी पिएं
अपने चांदी के आभूषणों को नियमित रूप से साफ़ करते रहिये अर्थात उस पर कालिख जमा मत होने दीजिये
कपड़ो में अधिक से अधिक सफ़ेद रंग का प्रयोग कीजिये
शिवजी की अधिक से अधिक पूजा कीजिये
शिवलिंग पर नियमित रूप से जल चढ़ाइये
ॐ नमः शिवाय की कम से कम एक माला प्रतिदिन कीजिये
मंदिर में दूध तथा चावल का दान कीजिये
आप अपने चन्द्रमा को जितना बलि बनाते जायेंगे उतना ही आपको स्ट्रेस तथा डिप्रेशन में आराम मिलता जायेगा।
प्रिय पाठको, मेरे पोस्ट पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। यदि आपको मेरे लेख पसंद आ रहे हैं तो कृपया Like (♡) करके तथा ज्यादा से ज्यादा Share करके मेरा उत्साह वर्धन कीजियेगा जिससे कि मैं भविष्य में आपके साथ और अधिक ज्योतिष सम्बंधित जानकारी साझा कर सकूँ।
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